इस दिल से उठती ख़ुश्बू के कुछ और कतरे आपकी नज़र करता हूँ…
भाग ४
वो कहते हैं सपनों में जीना अच्छी बात नहीं,
फ़िर क्यूँ तुम इन ख्वाबों से निकल आती नहीं ;
चाहत नहीं क्या ए हमनशीं हमसे,
या बस मेरी तरह जताती नहीं |
♥ ♥ ♥
इन हाथों की लकीरों में तू है,
या तुझसे ये लकीरें,
तू पास नहीं…एहसास है बस,
और धुंधली तस्वीरें |
♥ ♥ ♥
फिर मिलेंगे…
awesome poem…………..
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