मेरी जीवनसाथी मेरी प्रेरणा…
न जाने किस राह की तलाश है,
न जाने कौनसी मंज़िल की आस है,
यूँ तो खुला आसमान है पंख फैलाने को,
पर जाने क्यूँ न ऊचाईयों में अजनबी सा अहसास है,
हर शिखर को जीत लेने का इस मन में विश्वास है,
जीने लगे हर एक सपना, रब से यही बस अरदास है,
ऐसे में दोगुनी हो जाए हर ख़ुशी,
गर उनकी धड़कन इस दिल के पास है,
के उनसे ही महकती है ये कलम,
और उनसे ही शब्दों में मिठास है,
है उनसे ही विचारणा और वो ही मेरी प्रेरणा,
और उनसे ही लिखने की मुझे प्यास है,
वो हैं तो हैं काव्य मेरे,
उनसे ही मेरे अल्फ़ाज़ हैं,
उन बिन जैसे मैं कुछ भी नहीं,
के हँसती उनकी कुछ ख़ास है,
हँसती उनकी कुछ ख़ास है…
***
This post is a part of Write Over the Weekend, an initiative for Indian Bloggers by BlogAdda. This week’s WOW prompt is – ‘The Muse’.
Wow! So beautiful!
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Thank you Rakesh☺
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So romantic. I loved this line – उनसे ही मेरे अल्फ़ाज़ हैं
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Thank you Alok☺
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Beautiful, loved the line where you said – she is your words and poetry.
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Thank you Saru☺
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Beautifully written…
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🙂
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Love in the air.. 🙂
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Yup…and I glad I can feel it😊
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😊😊 best wishes…
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