ख्वाबों की कीमत: #If Money Disappeared

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कभी  मिलती  नहीं  मंज़िल, तो  कभी  राहें  रूठ  जाती  हैं,
के  इन  सिक्कों  के  बोझ  तले, ख्वाहिशें  टूट  जाती  हैं;

ख़्वाब  अक्सर  अधूरे  रह  जाया  करते  हैं,
के  खर्चा  बहुत  हो  जाता  है, मंज़िलों  को  पाने  में;

सुनहरे  ये  सपने  खरीदे  गर  जाते  हौसलों  से,
रंग  कुछ  और  ही  होता,  कामयाबी  के  इंद्रधनुशों   का;

ए  ख़ुदा  अदा  करना  हर  उस  दिल  की  दुआ,
जिसमें  तुझे  अक्स  अपना  दिखाई  दे ||

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This post is a part of Write Over the Weekend, an initiative for Indian Bloggers by BlogAdda. This weekend’s WOW prompt is- “If Money Disappeared”.

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18 thoughts on “ख्वाबों की कीमत: #If Money Disappeared

  1. ख्वाब आने के लिए नींद का आना भी जरूरी है
    हाय रे जमाने, आजकल नींद की गोली लेना मजबूरी है

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