संगीत की झनकार हमारे चारों ओर है | ये मीठी सी गूँज चुपके-चुपके हमारे बेरंग जीवन में रंग भरती रहती है | यदि हम शाँत मन से सुनें तो हर ओर संगीत की यह गूँज सुनाई देगी…
बारिश की पहली फुहार,
चिड़ियों का गीत मल्हार,
के दरख़्तों की हरियाली में,
महकता कहीं मैं भी हूँ,
वन में होती हल-चल,
और बहता पानी कल-कल,
के असीम सागर की लहरों में,
छलकता कहीं मैं भी हूँ,
भीड़ में होता शोर,
और पतंग की कटती डोर,
के घड़ी के काँटों की इस रफ़्तार में,
थिरकता कहीं मैं भी हूँ,
बीते पल अनमोल,
दो प्यार के मीठे बोल,
के इन लबों पे खिलती हँसी में,
शामिल कहीं मैं भी हूँ,
गर सुन कोई सके,
तो गाती ख़ामोशी भी है यहाँ,
के इस कायनात के हर ज़र्रे को,
एक धुन में सजाता मैं ही हूँ,
संगीतमय बनाता मैं ही हूँ ||
♥ ♥ ♥ -doc2poet
अगर आपको मेरी कविताएँ पसन्द आयें तो मेरी पुस्तक “मन-मन्थन : एक काव्य संग्रह” ज़रूर पढ़ें| मुझे आपके प्यार का इन्तेज़ार रहेगा |

“गर सुन कोई सके,
तो गाती ख़ामोशी भी है यहाँ,”
अद्भुत पंक्तियां।
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शुक्रिया An@m! 😊
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Beautiful poem
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Thanks a lot 😊
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दिल को छू जाती हैं आपकी कविताएं
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बहुत बहुत शुक्रिया। मुझे खुशी है कि आपको मेरी कवितायेँ पसंद आई। 😊
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kya khoob likha hai aapne..
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Shukriya shipra. Music is all around us, as is poetry. 😊
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Beautifully written 🙂
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Thank you shweta. It means a lot.😊
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Ah this one touched my soul. Beautiful!
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It’s what poetry does sometimes and comments like these make all the hard work pay off. Thanks a lot.:-)
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