ये पंक्तियाँ मैंने अपनी पहली और आख़री प्रेमिका और संजोग से मेरी धर्म पत्नी की शान में कुछ वर्ष पहले लिखी थी | मुझे खुशी है कि ये आज भी उतनी ही रूमानी हैं जितनी उस समय थीं |
ख़यालों ने उनके सताया है इस क़दर,
के राबता हो उनसे, तो पूछेंगे ज़रूर,
के तराशा है तुम्हें, खुद उस ख़ुदा ने,
या हो तुम परी, या कोई हूर |
है तुमसे ही धड़कन इस दिल की,
और तुम्ही से इन आँखों का नूर,
के मर ही मिटा तुमपर,
तो इस दिल का क्या क़सूर |
इस दिल ने ही दिखाई अंधेरों में,
नज़रों को राहें तमाम हैं,
माना हुई है इससे ख़ता,
पर क़ुबूल हमें भी ये इल्ज़ाम है |
न जाने हुआ ये कैसे,
के एक ही झलक में दिल-ओ-जान गवाँ बैठे,
अजनबी हुए ख़ुद से, और उन्हें भगवान बना बैठे |
जादू चला कुछ इस तरह,
के हम रहे नहीं हम,
मिल जाए पर उनका साथ अगर,
तो ख़ुद को खोने का भी नहीं ग़म |
नज़रों में उनकी छलकती मेरी तस्वीर सा नशा,
किसी पैमाने में कहाँ,
के मुहब्बत की इस बेखुदी सा मज़ा,
होश में आने में कहाँ |
बयाँ कर पाना मुम्किन नहीं,
के बीते कैसे बरसों, इन नज़रों की तलाश में,
ज़िंदा होने के इल्ज़ाम तले,
चल थी रही साँसें, ज़िंदगी की आस में |
के लौ सी तपती धूप में,
राहत शाम में हमने पाई है,
गुज़र गये झुलस्ते मंज़र,
के जीवन में शब लौट आई है |
सजदा करूँ मैं पल-पल उनका,
जो शख़्सियत ही ख़ुदाया है,
के याकता वो हीर,
जिसने इस दिल को सजाया है,
हर पल को महकाया है ||
♥ ♥ ♥ doc2poet
ये इस कविता का अंत नहीं, बल्कि इस प्रेम कहानी का आगाज़ है…
अगर आपको मेरी कविताएँ पसन्द आयें तो मेरी पुस्तक “मन-मन्थन : एक काव्य संग्रह” ज़रूर पढ़ें| मुझे आपके प्यार का इन्तेज़ार रहेगा |
Kya khub likha hai, doc! I am sure yeh padhkar aapki premika aapki dharma patni banne ke liye utsuk ho gayi hongi.
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Haha, it actually happened. My first gift to her. 😊
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wah bahut khoob
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Shukriya pushpendra 😊
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बहुत खूब |
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Shukriya shukriya 🙂
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So beautiful and romantic! 🙂
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My first gift to my wife. Thank you for the like 🙂
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👏👏
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😊
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Waah !! Bahut khoob.. Padhkar bahut achcha laga👌👏
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बहुत बहुत शुक्रिया 😊
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