ये पंक्तियाँ समर्पित हैं मेरे पुत्र कर्तव्य की मीठी मुस्कान को, उसकी नादान शरारतों को, उसकी हर एक बात को जिसमें मैं अपना भविष्य, अपना प्रतिबिम्ब, अपना सब कुछ देखता हूँ |
तू काव्य मेरा, कर्तव्य मेरा, तू भूत, वर्तमान, भविष्य मेरा;
तू अठखेली, तू ही बचपन, उगता सूरज तू भव्य मेरा;
तू गर्व मेरा, ऐश्वर्य मेरा, तुझसे ही भाग्य अदम्य मेरा;
My son- Kartavya
तुझसा दूजा कोई भी नहीं, के तू है प्रदेय अनन्य मेरा;
मैं चलूँ तू मंज़िल पा जाए, के तू ही है गंतव्य मेरा,
कर्तव्य मेरा, गंतव्य मेरा||
♥ ♥ ♥ doc2poet
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