“न अपने आप में एक वाक्य है” पिंक मूवी में कही ये आसान सी बात जानें क्यूँ ये लोग नहीं समझ पा रहे हैं | कभी निर्भाया कभी आसिफ़ा कब तक कुर्बानी देती रहेंगी |
दरिया भी है, पत्थर भी हैं; हनुमान कहाँ से लाऊँ ?
तेरे ही नाम पे, सब हो रहा; नया राम कहाँ से लाऊँ…??♥ ♥ ♥ doc2poet
ये इतनी दुखद घटना है कि हैवानियत की सभी हदें तोड़ी जा चुकी हैं लेकिन उससे भी ज़्यादा दुख़ ये देखकर होता है कि हमारे नेता और मीडीया किस तरह इस सब को एक बेहुदा मज़ाक बना कर रख देते हैं |
कोई है भी क्या ये देख रहा ,
या तू भी अन्याय का सानी है,ए खुदा! ज़रा तू शर्म तो कर ,
एक दिन तुझसे ये मिल जानी हैं,तब क्या देगा तू जवाब इन्हें?
आँखों में खून, रगों में पानी है|—
के कुकार्मों पे रोटी सेक रहा ,
समाज की भूख पे हैरानी है,बच्ची की लाश पे कुर्सी रखकर,
अपनी शान बढ़ानी है,के मासूम चेहरों पे नम सी आँखें ,
कलयुग की ही निशानी हैं ,
के एक दिन वो भी देंगे हिसाब,
ये मेरी भविष्यवाणी है |—
के मंज़िल है ये गुम सी कहीँ,
और राह हमें ही बनानी है,नामुमकिन को हाँमुमकिन कर दे,
जिसने हार न मानी है,तू अबला नहीं, कमज़ोर नहीं,
तुझमें झाँसी की रानी है,
तुझमें झाँसी की रानी है… ||♥ ♥ ♥ doc2poet
अगर आपको मेरी कविताएँ पसन्द आयें तो मेरी पुस्तक “मन-मन्थन : एक काव्य संग्रह” ज़रूर पढ़ें| मुझे आपके प्यार का इन्तेज़ार रहेगा |
