इतने समय से लिखते हुए अब ये महसूस होने लगा है कि मेरा और काव्य का कोई न कोई नाता ज़रूर है…
इन अल्फाज़ों का काग़ज़ से ज़रूर कोई नाता है,
के मिलती नहीं जिसे ज़बान, वो अनायास ही इसपर उतर आता है ||♥ ♥ ♥ doc2poet
कैसे न लिखूं ?
चाँद सा धवल ये काग़ज़,
बेचैन लहरों सी मचलती स्याही,
कैसे ना उठे लफ़्ज़ों का तूफान,
हर ज़र्रा दे संयोग की गवाही,
जैसे रूह को मिल गया हो इलाही,
रूह को मिल गया हो इलाही ||
♥ ♥ ♥ doc2poet
काव्य- हाइकू
खुला नीला आकाश,
अंतर्मन की उड़ान,
शब्दों ने रूप लिया काव्य का ||
♥ ♥ ♥ doc2poet
अगर आपको मेरी कविताएँ पसन्द आयें तो मेरी पुस्तक “मन-मन्थन : एक काव्य संग्रह” ज़रूर पढ़ें| मुझे आपके प्यार का इन्तेज़ार रहेगा |
