कौन हूँ मैं ? #KnowYourself

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देखा  मैने  आईना, तो  वीराने  में  भी  शजर  पाया ,
मैने  वही  लिखा,  जो  मुझे  इन  आँखों  में  नज़र  आया…||

पाँव  ज़मीं  पर  नहीं  मेरे,  

के  इन  बादलों  पे  सवार  हूँ  मैं, 

के  मैं  हूँ, और  मेरी  तन्हाई,

और  इस  ज़माने  के  पार  हूँ  मैं,

बेफ़िक्र  हूँ, बेखौफ़  हूँ,

के  मद्धम  जलती  अंगार  हूँ  मैं, 

मैं  किल्कारी, मैं  आँसू  भी,

के  दामन  से  छलकता  प्यार  हूँ  मैं,

मैं  मुश्किल  हूँ, मैं  आसां  भी,

कभी  जीत  हूँ  तो, कभी  हार  हूँ  मैं,

उलझनों  की  इस  कशमकश  में,

उमीदों  की  ललकार  हूँ  मैं,

लुत्फ़  उठा  रहा  हूँ, हर  मुश्किल  का,

के  भट्टी  में  तपती  तलवार  हूँ  मैं,

ये  लहरें  ये  तूफान, तुम्हें  मुबारक,

के  कश्ती  नहीं  मझधार  हूँ  मैं,

मैं  मद्धम  हूँ, मैं  कोमल  हूँ,

और  चीते  सी  रफ़्तार  हूँ  मैं, 

के  दर्दभरी  मैं  चीखें  हूँ,

और  घुँगरू  की  झनकार  हूँ  मैं,

मैं  निर्दयी  हूँ, मैं  ज़ालिम  हूँ ,

के  मुहब्बत  का  तलबगार  हूँ  मैं, 

मैं  शायर  हूँ, मैं  आशिक़  भी,

इस  प्रेम-प्रसंग  का  सार  हूँ  मैं,

तुम  मुझसे  हो, मैं  तुमसे  हूँ,

झुकते  नैनों  का  इक़रार  हूँ  मैं, 

मैं  गीत  भी  हूँ, मैं  कविता  भी,

के  छन्दो  में  छुपा, अलंकार  हूँ  मैं,

मैं  ये  भी  हूँ, मैं  वो  भी  हूँ,

के  सीमित  नहीं  अपार  हूँ  मैं, 

के  सीमित  नहीं  अपार  हूँ  मैं ||

 ***

I penned this one long back in an attempt to define my own self and I hope It lives up to this prompt.  This post has been written for Indispire Edition 132No one knows you better than yourself…. Peep into your heart and describe yourself in one sentence #Knowyourself .

 

43 thoughts on “कौन हूँ मैं ? #KnowYourself

  1. वाह -वाह…
    क्या ख़ूब लिखा है महोदय जी आपने..!
    आत्मविभोर कर दिया इस कविता ने..
    वास्तव में स्वयं को जान पाना मुश्किल काम है, किन्तु स्वयं के अलावा कोई और आत्म को नहीं जान सकता..!
    इस रचना के लिए बधाई हो..😊

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आरती…मुझे खुशी है कि आपको मेरी रचना पसंद आई. स्वयं को शब्दों की चारदीवारी में बाँध कर नहीं रखना चाहता था और बस ये कविता बन गयी |

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  2. आप सीमित है, आप अपार है
    आप खुशी है, आप चीतकार है
    आप बांसुरी की धुन है, आप पायल की झंकार है
    आप लोहार है, आप सुनार है
    आप उपयोगी हैं,आप बेकार है

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  3. बहुत बेहतरीन डॉक्टर साहेब, आप की कविता में हिन्दी कितना रसभरी लग ही है| अपने खोज पर मैने भी दो लाइन लिखी है:

    मैं ही सफ़र, मैं ही कठिनाई, मैं ही हु हम साया
    सारा जग व्यर्थ गया जब खुद से ही न मिल पाया

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  4. Pingback: What can poetry do? – doc2poet

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